Ep-27: श्री थराद तीर्थ
[ पुरातन क्षेत्र, भोजनशाला की सुविधा ]
तीर्थाधिराज: श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण (श्वे. मन्दिर) ।
तीर्थ स्थल: मोहल्ले में । थराद गाँव के मोटा देरासर के

प्राचीनता: इस नगरी के प्राचीन नाम थिरपुर, थिरादि, थरापद्र, थिरापद्र आदि थे। यह गाँव थिरपाल धरु ने वि. सं. 101 में बसाया था व उसकी बहिन हरकु ने 1444 स्थंभों युक्त विशाल गगनचुम्बी बावन जिनालय मन्दिर बनवाया था, ऐसा उल्लेख है ।
कहा जाता है वर्तमान में वाव में स्थित श्री अजितनाथ भगवान की पद्मासनस्थ 31 इंची अलौकक धातु प्रतिमा मुसलमानों के राज्यकाल में आक्रमणल्लयों के भय से यहीं से वाव भेजी गयी थी। वह प्रतिमा वि. सं. 136 श्रावण अमावस्या के दिन इस मंदिर में प्रतिष्ठित की गयी थी, ऐसा भी उल्लेख मिलता है ।
विक्रम की सातवीं सदी तक यहाँ थिरपाल धरु के वंशों ने राज्य किया। बाद में नाडोल के चौहाण वंशजों ने राज्य किया ।
विक्रम की लगभग नवमी सदी में थिरापद्रगच्छ की यहाँ स्थापना हुई मानी जाती है।

कुमारपाल राजा द्वारा यहाँ 'कुमार विहार' मन्दिर बनवाने का उल्लेख है। तेरहवीं सदी में श्रेष्ठी श्री अह्यलाद्दन दण्डनायक द्वारा यहाँ श्री आदीश्वर भगवान के मन्दिर में श्री चन्द्रप्रभ भगवान, सीमन्धर स्वामी, अंबिका देवी, भारती देवी आदि की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित करवाने का उल्लेख है ।
चौदहवीं सदी में श्री विनयप्रभ उपाध्यायजी द्वारा रचित तीर्थ माला में यहाँ का उल्लेख है ।
सं. 1340 में माण्डवगढ़ के मंत्री श्री झाँझणशाह जब श्री शत्रुंजयगिरि संघ लेकर गये तब यहाँ के श्रीमाल ज्ञाति के श्रेष्ठी श्री आभू भी संघ लेकर पहुँचे हुए थे । श्रेष्ठी श्री आभू को 'पश्चिम माँडलिक' व संघ को 'लघु काश्मीर' की उपाधियाँ दी गयी थी। किसी वक्त यह एक विराट नगरी थी व सहस्रों सुसम्पन्न जैन श्रावकों के घर थे, जिन्होंने जगह जगह पर धर्म उत्थान के कार्य किये, वे उल्लेखनीय है।
विशिष्टता: यह मन्दिर विक्रम की पहली शताब्दी में राजा थिरपाल धरु की बहिन द्वारा निर्मित हुआ था । इन्होंने, जैन धर्म की प्रभावना के अनेकों कार्य किये ।आचार्य श्री वटेश्वरसूरीश्वरजी ने थिरापद्रगच्छ की स्थापना यहीं की थी ।
अन्य मन्दिर: वर्तमान में इसके अतिरिक्त 10 मन्दिर और हैं ।
कला और सौन्दर्य: यहाँ के मन्दिरों में अनेकों प्राचीन कलात्मक प्रतिमाओं के दर्शन होते है।
मार्गदर्शन: नजदीक का रेल्वे स्टेशन डीसा लगभग 55 कि. मी. हैं, जहाँ से बस व टेक्सी का साधन है । नजदीक का गाँव भोरोल 22 कि. मी. है। मन्दिर तक कार व बस जा सकती है। यहाँ से अहमदाबाद, बम्बई बड़ौदा व राजकोट आदि के लिए बस सेवा उपलब्ध है। गाँव में टेक्सी, आटो की सुविधा है ।
सुविधाएँ: वर्तमान में ठहरने के लिए विशाल धर्मशाला है, जहाँ बिजली, पानी, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र व भोजनशाला की भी सुविधा हैं ।
पेढ़ी: श्री थराद जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ, मैन बाजार, पोस्ट : थराद- 385 565.
जिला: बनासकांढा, प्रान्त : गुजरात, फोन : 02737-22036.