Ep-9: भगवान श्री महावीर ने कहाँ कितने चातुर्मास किये
भगवान श्री महावीर ने कहाँ कितने चातुर्मास किये
भूमिका-निर्वाण-मोक्षमार्ग के पथिक निर्ग्रन्थमुनि-साधु को रागादि दोषों से और आचरण की शिथिलता से बचने के लिये, और अपने साथ परकल्याण हेतु भी एक ही स्थल पर अधिक निवास करना उचित नहीं होता, इसलिये शास्त्राज्ञा के अनुसार वर्ष के आठ महीने जैन साधु-साध्वियों को पादविहार द्वारा विविध स्थानों में विचरण करना पड़ता है। परन्तु हिंसादि दोषों से दूर रहने व अपने जीवन की शुद्धि के लिये आध्यात्मिक साधना में तीव्रता हेतु उसे वर्षांवास अर्थात् चौमासा के चार मास तो एक ही स्थान पर अनिवार्य रहने की आज्ञा है।
अधिकांश इसी मार्ग का अनुसरण करने वाले भगवान महावीर विविध स्थानों में निर्वस्त्र रहकर, सर्वथा अपरिग्रही होकर, मौन रखकर आठ मास विचरण करते थे और चौमासा में एक ही स्थान पर रहा करते थे। उसके अन्तर्गत वे तप, संयम और ध्यान की श्रेष्ठ साधना करते समय उपस्थित होनेवाले विविध परिसहों और उपसर्गों को अपरिमित और अखण्ड समता के साथ सहकर आत्मा के पूर्णप्रकाश तथा लोककल्याण के लिये सर्वथा आवश्यक जैसे केवलज्ञान के प्रकाश के अवरोधक कर्मों-दोषों की निर्जरा (क्षय) करते रहे थे। और उसके क्षय होते ही उन्होंने वर्षों से (जन्मजन्मान्तरों से) अभिलपित केवलज्ञान (त्रिकाल ज्ञान) प्राप्त किया।
- जैन साधुओं में चौमासा की गणना करने की खास प्रथा है | यहाँ दीक्षा के प्रथम चौमासा से लेकर निर्वाण पर्यन्त चौमासा की सूची 'कल्पसूत्र' ग्रन्थ के आधार पर प्रस्तुत की है |
चातुर्मास संख्या | स्थल का नाम | देश का नाम | चातुर्मास क्रमांक |
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२ चौमासे | अस्थिक गाम में | विदेह जनपद | १ |
१ चौमासा | चम्पा में | अंगदेश | ३, १२ |
२ चौमासे | पृष्ठचम्पा में | अंगदेश | ४ |
१ चौमासा | भद्रिका-भद्दिया में | अंगदेश | ५, ६ |
१ चौमासा | आलं (ल) भिका में | काशीराष्ट्र | ७ |
१ चौमासा | प्रणीतभूमि में (वज्रभूमि नाम के अनार्य देश की) | कुणालदेश | १ |
१ चौमासा | श्रावस्ती में | विदेहदेश | १० |
६ चौमासे | वैशाली में | विदेहदेश | ११, १४, २०, ३१, ३२, ३५ |
६ चौमासे | वाणिज्यगाम में | विदेहदेश | १५, १७, २१, २३, २८, ३० |
११ चौमासे | राजगृह नगर में | मगधदेश | ८, १३, १६, १८, १९, २२, २४, २९, ३३, ३७, ४१ |
३ चौमासे | नालन्दा (उपनगर) में | मगधदेश | २, ३४, ३८ |
६ चौमासे | मिथिला नागरी में | विदेहदेश | २५, २६, २७, ३६, ३९, ४० |
१ चौमासा | पावामध्यमा-पावापुरी में | मगधदेश | ४२ |