भारत में भगवान महावीर के प्राचीन मंदिर

Ep-13: श्री नान्दिया तीर्थ

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[ पुरातन क्षेत्र, भोजनशाला की सुविधा, चमत्कारी क्षेत्र या मुनियों की तपोभुमि, पंचतीर्थी ]


तीर्थाधिराज: श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, परिकरसहित लगभग 210 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) ।

तीर्थ स्थल: नान्दिया गाँव के बाहर सुन्दर वनयुक्त पहाड़ियों के मध्य ।

प्राचीनता: इसके प्राचीन नाम नन्दिग्राम, नन्दिवर्धनपुर, नन्दिरपुर आदि थे । भगवान महावीर के ज्येष्ठ भ्राता श्री नन्दिवर्धन ने यह गाँव बसाया था, ऐसी किंवदन्ति प्रचलित है। यह भी कहा जाता है कि यह प्रतिमा प्रभूवीर के समय की है, इसकी एक कहावत भी अति प्रचलित है, "नाणा दियाणा नाब्दिया जीवित श्यामी वाब्दिया"। इस मन्दिर में स्तम्भों आदि पर उत्कीर्ण वि. सं. 1130 से 1210 तक के शिलालेखों से भी इसकी प्राचीनता सिद्ध हो जाती है। इसे पहले 'नान्दियक चैत्य' भी कहते थे।

वि. सं. 1130 में नाब्दियक चैत्य में बावड़ी खुदवाने का उल्लेख हैं। वि. सं. 1201 में जीर्णोद्धार हुए का उल्लेख मिलता है। समय-समय पर हर तीर्थ का उद्धार होता ही है। उसी भाँति इस तीर्थ का भी अनेकों बार उद्धार हुआ होगा ।

विशिष्टता: प्रभु वीर के समय की उनकी प्रतिमाएँ बहुत ही कम जगह है, जिन्हें जीवित स्वामी कहते है। उसमें भी ऐसी सुन्दर व मनमोहक प्रतिमा अन्यत्र नहीं है। श्री नन्दिवर्धन द्वारा बसाये गाँव में इस प्राचीन मन्दिर को नन्दीश्वर चैत्य भी कहते हैं। इस मन्दिर के निकट ही टेकरी पर एक देरी है, जिस में शिला पर प्रभु के चरण व सर्प की आकृति उत्कीर्ण है । भक्तों के मान्यतानुसार प्रभु वीर ने चण्डकौशिक सर्प को यहीं पर प्रतिबोध दिया था। इसी शिला पर कुछ प्राचीन लेख भी उत्कीर्ण हैं, जिनके अन्वेषण की आवश्यकता है । आचार्य भगवंत साहित्य शिरोमणी विजय श्री प्रेमसूरीश्वरजी म.सा. की यह जन्म भूमि है।

विश्व विख्यात राणकपुर तीर्थ के निर्माता शेठ श्री धरणाशाह व रत्नशाह भी इसी नगरी के निवासी थे। प्रतीत होता है यह नगर सदियों तक जाहोजलाली पूर्ण रहा।

यह प्रभु प्रतिमा अष्ट प्रतिहार्ययुक्त है जिसमें इन्द्र-इन्द्राणी पुष्प वृष्टी करते हैं, देव दुंदुभी बजाते हैं, भावमंडल है, छत्र है, अशोक वृक्ष है, धर्मचक्र है, इन्द्र महाराजा भगवान के दोनों तरफ चामरवींझते हैं और मूर्ति के साथ बावन जिनालय का परिकर भी है जिसमें इक्यावन भगवान हैं और बावनवें मूलनायक श्री महावीर प्रभु है। यह यहाँ की मुख्य विशेषता है। ऐसे परिकरयुक्त प्रभु के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ है।

अन्य मन्दिर: वर्तमान में इसके अतिरिक्त गाँव में 2 मन्दिर व एक गुरु मन्दिर हैं ।

कला और सौन्दर्य: प्रभु वीर के समय की इतनी तेजस्वी कलात्मक प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ हैं । लगता है जैसे वीर प्रभु साक्षात् विराजमान हैं । इस बावनजिनालय मन्दिर की सारी प्रतिमाओं की कला का भी जितना वर्णन करें, कम है। साथ ही यहाँ का प्राकृतिक दृश्य अति मनलुभावना है। दूर से जंगल में शिखर समूहों का दृश्य दिव्य नगरी सा प्रतीत होता है ।

मार्गदर्शन: यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही रोड़ 10 कि. मी. है, जहाँ से आबू रोड़ मार्ग में कोजरा होकर आना पड़ता है। नजदीक का बड़ा शहर सिरोही 24 कि. मी. दूर है। इन जगहों से बस व टेक्सियों की सुविधा है। नान्दिया तीर्थ से बामनवाडजी 6 कि. मी. व लोटाणा तीर्थ 5 कि. मी. दूर है। बस स्टेण्ड से मन्दिर 1/2½ कि. मी. दूर है ।


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सुविधाएँ: ठहरने के लिए गाँव में धर्मशाला है, जहाँ पर भोजनशाला सहित सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

पेढ़ी: श्री जैन देवस्थान पेढ़ी, पोस्ट : नान्दिया - 307 042. जिला : सिरोही, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02971-33416 पी.पी.

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