Ep-25: श्री मंडार तीर्थ
[ पुरातन क्षेत्र ]
तीर्थाधिराज: श्री महावीर भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्य, लगभग 120 से. मी. (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थस्थल: मन्डार गाँव के मन्दिर की सेरी में ।

प्राचीनता: प्राचीन शिलालेखों में इस गाँव का महाहृद व महाहड नामों से उल्लेखित किया है ।प्रकाण्ड विद्वान आचार्य श्री वादीदेवसूरीश्वरजी का जन्म इसी गाँव में वि. सं. 1143 में हुआ था। वि. सं. 1287 में आबू देलवाड़ा के लावण्यवसहि मन्दिर के वार्षिक महोत्सव हेतु कमेटी बनायी थी जिसमें इस गाँव का नाम भी शामिल था।
वि. सं. 1499 में श्री मेघ कवि द्वारा रचित 'तीर्थ-माला' में यहाँ के श्री महावीर भगवान के मन्दिर का उल्लेख है । उक्त महावीर भगवान का मन्दिर किसी समय भूकंप आदि के झपेटों में आकर भूगर्भ में समा गया होगा, ऐसा प्रतीत होता है। वर्तमान मूलनायक श्री महावीर भगवान की विशाल काय प्रतिमा व अन्य दो कायोत्सर्ग मुद्रा में श्री पार्श्वनाथ भगवान व श्री विमलनाथ भगवान की प्रतिमाएँ (श्री विमलनाथ भगवान की प्रतिमा पर वि. सं. 1259 लेख है) गाँव के बाहर एक टेकरी के निकट जमीन में से प्राप्त हुई थी। संभवतः यह वही प्रतिमा है जिसका श्री मेघ कवि ने अपने तीर्थमाला में उल्लेख है।
यहाँ पर पुनः मन्दिर निर्माण का कार्य करवाकर वि. सं. 1920 में चरम तीर्थंकर वीर प्रभु उस प्राचीन अलौकिक प्रतिमा को पुनः प्रतिष्ठित करवाया गया । अभी मन्दिर के पुनः जीर्णोद्धार का कार्य चालू है।

विशिष्टता: सुप्रख्यात प्रकाण्ड विद्वान आचार्य श्री वादीदेवसूरीश्वरजी की यह जन्म भूमि है। श्री 'महाहृतगच्छ' का उत्पत्ति स्थान भी यही है।
गाँव के बाहर जगह-जगह अनेकों खण्डहर अवशेष विखरे हुए दिखायी देते हैं। इससे प्रतीत होता है किसी समय यह एक विराट नगरी रही होगी व यहाँ अनेकों जिन मन्दिर रहे होंगे। यहाँ के श्रेष्ठियों द्वारा भी जगह-जगह धार्मिक कार्यों में भाग लेने का उल्लेख मिलता है । प्रतिवर्ष माघ शुक्ला 13 को ध्वजा चढ़ायी जाती है ।
अन्य मन्दिर: इसके अतिरिक्त यहाँ एक और श्री धर्मनाथ भगवान का भी प्राचीन मन्दिर हैं ।
कला और सौन्दर्य: भगवान महावीर की प्रतिमा अति ही सुन्दर व प्रभावशाली है । भूगर्भ से प्राप्त कायोत्सर्ग मुद्रा में श्री पार्श्व प्रभु की व श्री विमलनाथ भगवान की प्रतिमाएँ भी अति दर्शनीय है।
मार्गदर्शन: नजदीक का रेल्वे स्टेशन आबू रोड़ 50 कि. मी. हैं, जहाँ से बस व टेक्सियों की सुविधा है। कार व बस मन्दिर तक जा सकती है । यहाँ से वरमाण 10 कि. मी. व जीरावला 24 कि. मी. है ।
सुविधाएँ: ठहरने के लिए उपाश्रय है, जहाँ पानी, बिजली, का साधन है । आयम्बिलशाला है ।
पेढ़ी: श्री पंचमहाजन जैन धर्मादा व धार्मिक ट्रस्ट, मंडार । पोस्ट : मन्डार - 307 513.
जिला: सिराही (राज.), फोन : 02975-36131