भगवान महावीर के बारे में जानकारी

Ep-1: चरम तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर का जीवनदर्शन - विहंगावलोकन

चरम तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर का जीवनदर्शनविहंगावलोकन

 

Sr no. विवरण
1 भगवान पार्श्वनाथ के 178 वर्ष बाद भगवान महावीर का जन्म हुआ।
2 वर्तमान चौबीसी के तीर्थंकरों में चोबीस परम-तारक तीर्थकर भगवन्त।
3 नाम - वर्द्धमान, वीर, प्रतिवीर, महावीर, सन्मति, महाश्रमण।
4 पिताश्री – महाराजा श्री सिद्धार्थ (अन्य नाम - श्रेयांस, यशस्वी)।
5 मातुश्री - महारानी त्रिशला (अन्य नाम - प्रियंकारिणी, प्रीतिकारिणो विदेहदिन्ना)।
6 काकाश्री - श्री सुपार्श्व।
7 भ्राताश्री - श्री नन्दिवर्धन।
8 स्वसुश्री - सुदर्शना।
9 मामाश्री - श्री चेडाराजा।
10 पत्नी - श्रीमती यशोदा।
11 पुत्री - श्री प्रियदर्शना (प्रनोधा)।
12 दोहित्री - शेषवती।
13 जन्म-स्थान - भरतक्षेत्र - ब्राह्मण कुण्डग्राम, क्षत्रिय कुण्डग्राम।
14 गर्भधारण तिथि - पाणत स्वर्ग से च्व्यन होकर आषाढ़ शुक्ला 6 (598 ई. पूर्व) माता देवानन्दा के गर्भ में अवतरित हुए।
15 देवानन्दा के गर्भ में— 82 दिन तक (हरिण-गमेषी देव द्वारा माता त्रिशला के गर्भ में)।
16 कुल गर्भकाल – 9 मास 7 दिन 12 घंटे।
17 जन्म तिथि- चैत्र शुक्ला त्रयोदशी (597 ई.पूर्व)।
18 जन्म के समय ज्ञान मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान।
19 नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी, राशि - कन्या, दशा- शनि, अन्तर्दशा-बुध, महादशा-वृहस्पति।
20 भगवान का वर्ण - सुवर्ण, लंछन- जंघा पर केसरीसिंह।
21 विवाह - यशोदा नामक राजकन्या से।
22 कुमारकाल - 28 वर्ष 7 मास 12 दिन।
23 दीक्षा से पूर्व वर्षादान (1) प्रतिदिन 1 करोड़ 8 लाख स्वर्ण मुद्रा।
24 दो वर्ष तक वर्षीदान (2) प्रतिवर्ष 3 अरब 88 करोड़ 80 लाख स्वर्ण मुद्रा।
25 दीक्षा तिथि - कार्तिक कृष्णा 10 (569 ई. पूर्व) स्थान - क्षत्रिय कुण्ड प्रशोक वृक्ष के तल।
26 तपस्या- कम से कम बेले की (229 दिन) अधिक से अधिक 4 मास, 25 दिन के घोर अभिग्रह के बाद बाद चन्दनबाला ने कौशाम्बी नगरी में माघ कृष्णा को उड़द के बाकुलों से पारणा करवाया |
27 दीक्षा लेते ही ज्ञान- मनः पर्यवज्ञान
28 कुल तप की अवधि- 12 वर्ष 5 मास 15 दिन
29 देशना से पूर्व मौन समय- 66 दिन।
30 प्रथम देशना - भगवान की प्रथम देशना निष्फल रही।
31 प्रथम शिष्य- अनन्तलब्धिनिधान श्री गौतम स्वामीजी म.।
32 प्रथम शिष्या- सती शिरोमणि चन्दनबाला।
33 केवलज्ञान तिथि- वैशाख शुक्ला 10 (557 ई. पूर्व), स्थान- ऋजुवालिका नदी के किनारे आसन- गौदोहिकासन (42 वर्ष 6 मास की उम्र में)।
34 देशना का काल- 29 वर्ष 3 मास 24 दिन।
35 अचेलकत्वः (निर्वस्त्र) सुवर्णबालुका नदी के किनारे थोर में वस्त्र उल्लज जाने के बाद से भगवान आजीवन वस्त्ररहित रहे ।
36 श्रमनावधि में विशाल उपद्रव-
(1) अस्थि ग्राम में शूलपाणि का भयंकर उपद्रव |
(2) चंडकौशिक का द्रष्टि विष-लहू के स्थान पर दुग्धधारा |
(3) ग्वाले द्वारा कानों में कीले ठोकने की असहन्य वेदना |
(4) गोशालक की तेजोलेश्या से विसूचका नामक व्याधि का होना |
37 कुल चातुर्मास- 42।
38 सर्वाधिक चातुर्मास स्थल- 14 चातुर्मास राजगृह नगरी में ।
39 अंतिम चातुर्मास- अपापापूरी में ।
40 अंतिम देशना- कार्तिक कृष्ण 14, समय- 16 पहर ( 48 घंटे ) की जिसमें भगवान ने 56 अदध्ययन पुण्य के तथा 66 अदध्ययन पाप के सुनाये ।
41 निर्वाण- कार्तिक अमावस्या (527 ई. पूर्व)।
42 आयुष्य- 71 वर्ष 4 मास 25 दिन।
43 चतुर्विघ संघ की स्थापना तिथि- वैशाख शुक्ला 11।
44 शिष्य परिवार- 11 गौतम जैसे गणधर,10 आनन्द कामदेव जैसे श्रावक,14000 साधु, 36000 साध्विया,159000 श्रावक, 318000 श्रविकाए, तीर्थंकर नामकर्म उपार्जन करने वाले 7 श्रावक ( श्रेणिक, सुपार्श्व, उदायी,पोतिल, द्रढ़ायु, शंख, शतक,दो श्रविकाए- ( सुलसा, रेवती )
45 भगवान महावीर के निर्वाणोपरान्त चतुर्विध संघ के गणनायक- श्री सुधर्मा स्वामी
46 भगवान महावीर की कुल निद्रा- 12 वर्ष, 5 मास, 15 दिन की घोर साधना में 2 घड़ी (48 मिनट)
47 भगवान के जीव ने सर्वप्रथम सम्यकत्व प्राप्त किया- नयसार के भव में सुपात्रदान से |
48 भगवान महावीर के जीव ने नीचगोत्र का बन्ध किया- मरीचि के भव में अभिमान करके |
49 भगवान महावीर के जीव द्वारा 18वें भव में किये गये पापकर्म के उदय से- ग्वाले ने कानों में कीले ठोके |
50 भगवान महावीर के जीव ने तीर्थंकर नामकर्म का बन्ध किया- 25 वें भव में 1180645 मास खमरण करके |
51 भगवान महावीर ने 4 घाती कर्मो का क्षय करके शुद्ध- बुद्ध, अजर-अमर तथा पपी पद को प्राप्त किया|
52 भगवान महावीर का निर्वाण हुए आज 2517 वर्ष हो गये हैं |

 

 

तीर्थंकर भगवान श्री महावीर के जीवन की और उनसे संबन्धित ९१२ विषयों की संक्षिप्त सूची

 

भूमिका - सर्वोदय तीर्थ के संस्थापक भगवान श्री महावीर के गत जन्म को लेकर, वे मोक्ष को प्राप्त हुए तब तक के अनेक विषयों की आवश्यक संक्षिप्त सूची यहा प्रस्तुत की गई है |

 

१.च्यवन तथा २. जन्म, ये दोनों कल्याणक और उससे संबन्धित विषय

 

क्रमांक प्रश्न उत्तर
1 महत्पूर्ण मुख्य भवों की संख्या 27 (श्वेताम्बर मतानुसार)
2 गत जन्म से श्रुतज्ञान कितना लाये? 11 अंग - आगम शास्त्रतुल्य
3 तीर्थंकर किससे हुए? 'बीश स्थानक' नामक तप की श्रेष्ठ आराधना से
4 गत जन्म मे कहाँ थे? 10 वें प्राणत, नामक वैमानिक कल्प देवलोक में
5 पूर्वभव का देवायुष्य कितना था? 20 सागरोपम
6 च्यवन स्थल कुण्डपुर, कुण्डलपुर, ब्रहमणकुंड गाम-नगर
7 गर्भधारक प्रथम माता का नाम देवानन्दा ब्राह्मणी
8 प्रथम पिता का नाम ऋषभदत्त ब्राह्मण
9 देवनन्दा को कितने स्वप्न आये? सिंह इत्यादि 14
10 उनका फल किसने बताये? पति ऋषभदत्त ने
11 च्यवन मास और तिथि (गर्भधारण दिवस) आषाढ़ शुक्ला षष्ठी
12 च्यवन नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी
13 च्यवन राशि कन्या
14 च्यवन काल मध्यरात्री
15 गर्भापहरण कब हुआ? (च्यवन दिवस से) ८३ वे दिन को
16 किसने किया? इन्द्र की आज्ञा से हरिणगमेषी देव ने
17 किस कारण से किया? भिक्षुक कुल के कारण से
18 गर्भ को कहाँ पहुँचाया? त्रिशला रानी की कुक्षि में
19 देवानन्दा का गर्भसमय कितना? ८२ दिवस का
20 गर्भधारक द्वितीय माता का नाम क्षत्राणी रानी त्रिशला
21 द्वितीय पिता का नाम सिद्धार्थ राजा
22 माता विता को भी क्या १४ स्वप्न? हाँ, देवानन्दा के समान की
23 उसका फल किसने कहा? पति सिद्धार्थ तथा स्वप्न लक्षण पाठकों ने
24 त्रिशला का गृह स्थान कहाँ था? क्षत्रिय-कुंड ग्राम-नगर
25 सिद्धार्थ का गृहस्थान कहाँ था? क्षत्रिय-कुंड ग्राम-नगर
26 त्रिशला के गर्भ में कितने समय रहे? ६ महीने और १५ दिन
27 दोनों का समुदित गर्भसमय कितना? १ महीने, ७ दिन
28 जन्म मास और तिथि मास चैत्र, तिथि शुक्ल त्रयोदशी
29 जन्म समय मध्य रात्री
30 जन्म नक्षत्र उत्तरा-फाल्गुनी
31 जन्म राशि कन्या
32 जन्म किस 'आरा' में चतुर्थ 'आरा' में
33 जन्म समय में चतुर्थ आरा कितना बाकी था? ७५ वर्ष और ८ महीने
34 जन्म देश विदेह (वर्तमान बिहार)
35 जन्म देश की राजधानी वैशाली (महावीर कालीन)
36 जन्म नगर क्षत्रिय कुंडगाम नगर
37 भगवान के गोत्र का नाम काश्यप
38 जाति का नाम ज्ञातक्षत्रिय
39 कुल का नाम ज्ञातकुल
40 वंश का नाम ज्ञातवंश
41 वर्द्धमान नाम कैसे हुआ? गर्भ में आने के बाद घर में धन धान्यादि की वृद्धि होती रही, जिससे
42 महावीर नाम कैसे पड़ा? आमलकी क्रीड़ा अवसर पर देव को पराजय देने में महावीरता बताई, जिससे देवों ने यह नाम दिया (एक मत के अनुसार)
43 लांछन-चिन्ह क्या था? सिंह (जहन्नघ के ऊपर चर्म की ही एक स्वाभाविक सिंहकार आकृति)
44 शारीरिक शुभ चिन्ह-लक्षण कितने? १००८
45 जन्म के समय और सांसारिक अवस्था में कितने ज्ञान युक्त थे? मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान (मर्यादित प्रत्यक्ष-परोक्ष पदार्थ का ज्ञान)
46 देहवर्ण पीत (पीतवर्ण के सुवर्ण के समान पीला)
47 देह की रूप-कान्ति सर्वरूपों में सुन्दर, समस्त कान्तियों में श्रेष्ठतम
48 शरीर - बल कितना अनन्त
49 संघयण (अस्थि सन्धि की रचना) प्रथम वज्र ऋषभनाराच (अत्यंत दृढ़)
50 संस्थान (शरीर रचना माप) प्रथम समचतुरस्त्र (चारों कोने समान होने से अति सुन्दर)
51 उत्सेध अंगुल से देहमान सात हाथ का
52 आत्म अंगुल से देहमान १२० अंगुल का
53 प्रणाम अंगुल से देहमान २१ अंश
54 मस्तक की विशेषता क्या शिखस्थान बहुत ऊंचा जिसको 'उष्णिण' बोलते हैं
55 देह के रुधिर का वर्ण कैसा? श्वेत (गाय के दूध के समान)
56 विवाह (लग्न) किया था? हाँ
57 विवाहित पत्नी का नाम क्या? यशोदा
58 सन्तान थी? हाँ (केवल एक पुत्री ही थी)
59 गृहस्थाश्रम का समय कितना? 30 वर्ष
60 वार्षिक दान कितना दिया? 3 अरब 88 करोड़ 80 लाख स्वर्णमुद्रा

 

 

३. दीक्षा कल्याणक और उससे संबन्धित विषय

 

क्र. सं. विवरण उत्तर
1 दीक्षा मास और तिथि मार्गशीर्ष कृ. दशमी (आचा.) (गुज.कार्तिक कृष्णा)
2 दीक्षा समय दिन का चतुर्थ प्रहर
3 दीक्षा नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी
4 दीक्षा राशि कन्या
5 दीक्षा समय की आयु 30 वर्ष
6 दीक्षा में स्वीकृत महाव्रत कितने होते है? अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह आदि पाँच
7 दीक्षा दिवस का ताप बेला-छ्ट्ठ (2 उपवास)
8 दीक्षा महायात्रा की शीबिका का नाम चंद्रप्रभा
9 दीक्षा के समय अन्य दीक्षा लेने वाले नहीं (अकेले ही थे)
10 दीक्षा व्रत किस गाँव में लिया? क्षत्रियकुण्ड ग्राम-नगर में
11 दीक्षा किस वन में ली? कुण्ड ग्राम के ज्ञातखण्ड वन में
12 दीक्षा किस वृक्ष के नीचे ली? अशोक वृक्ष के नीचे
13 लोच कितनी मुष्टियों से किया गया? पाँच मुष्टियों से
14 व्रतोच्चारण के पश्चात कौनसा ज्ञान हुआ? चतुर्थ मन:पर्यव ज्ञान

 

 

१२ वर्ष और पन्द्रह दिन की साधना का समय और उससे सम्बद्ध जानकारी

 

क्र. सं. विवरण उत्तर
1 देवदूष्य कितने समय रहा? एक वर्ष और एक महीने से अधिक
2 प्रथम पारणा किस वस्तु से किया? क्षीर से (चावल मिश्री सह दूध)
3 प्रथम पारणा कब किया? दीक्षा के दूसरे दिन
4 प्रथम पारणा कहाँ किया? कोल्लाग सन्निवेश में
5 प्रथम पारणा किसने करवाया और कहाँ? बहुल नामक ब्राह्मण ने अपने घर
6 प्रथम क्षीर किसमें ली? गृहस्थ के द्वारा दिये गये पात्र में
7 उत्कृष्ट तप कितने महीने का किया? 6 महीने के उपवास का
8 अभिग्रह किये थे? हाँ, विविध प्रकार से किये
9 सम्पूर्ण तप कितना? 166 दिन के निर्जल उपवास का
10 साधक 12 वर्ष के उपवास के तप में पारणा-भोजन के दिन कितने? 349
11 साधना काल का क्षेत्र कौन था? पूर्व और उत्तर भारत का प्रदेश
12 साधना के 12 वर्ष में प्रमाद निद्राकाल? अन्तर्मुहूर्त, अर्थात् दो घड़ी का (48 मिनट)
13 उपसर्ग हुए थे? हाँ, गोवाल, कटपुतना, शूलपाणि, संगम, चण्डकौशिक इत्यादि का
14 किसने किये थे? मनुष्य, देव और तिर्यंचों ने
15 साधना किस आसन पर की? बहुधा खड़े खड़े कायोत्सर्ग मुद्रा आसन से (-जिन मुद्रा से)
16 साधना के मुख्य साधन क्या थे? संयम, तप, ध्यान, मौन

 

 

४. केवलज्ञान कल्याणक और उससे सम्बद्ध प्रधान जानकारी

 

क्र. सं. विवरण उत्तर
1 केवल ज्ञान मास और तिथि वैशाख शुक्ला दशमी (ई.पू. ५५७)
2 दिवस का नाम सुव्रत (शास्त्रीय नाम)
3 मुहूर्त का नाम विजय (शास्त्रीय नाम)
4 केवलज्ञान का समय चतुर्थ प्रहर- सायंकाल
5 केवलज्ञान समय की राशि कन्या
6 केवलज्ञान समय की आयु 43 वर्ष
7 केवलज्ञान का स्थान जृम्भिक ग्राम के बाहर का जुवालिका नदी के पास का खेत (बिहार प्रान्त)
8 केवल ज्ञान के समय कोई दूसरे शिष्य साथ थे ? एक भी नहीं
9 उस समय शरीर पर वस्त्र था? नहीं
10 दूसरा कोई साधन या व्यक्ति साथ में था? नहीं, सर्वथा अपरिग्रही-अकिंचन
11 साधना के समय में उपदेशादि देते थे? विशिष्ट उपदेश के रूप में कुछ नहीं बोलते, जरूर हो तो बार्तालाप कर सकते है।
12 केवलज्ञान किस वृक्ष के नीचे हुआ? साल (शाल) वृक्ष के नीचे
13 केवलज्ञान किस आसन पर हुआ? उत्कटुक अथवा गोदोहिका
14 केवल ज्ञान के समय तप कौनसा? छट्ठ (दो उपवास) तप
15 अतिशय कितने? चौतीस
16 वाणी के गुण कितने? पैंतीस
17 प्रातिहार्य कितने? आठ
18 आध्योंपदेश और आध्य समोवसरण की स्थापना कब? वैशाख शुक्ला दशमी

 

 

अपने तीर्थ (शासनकी स्थापना और अन्य जानकारी

 

क्र. सं. विवरण उत्तर
1 तीर्थोंत्पत्ति कब? केवलज्ञान प्राप्ति के दूसरे दिन दूसरी बार के समवसरण में
2 तीर्थ स्थापना का मास और तिथि वैशाख शुक्ला एकादशी
3 तीर्थ का विच्छेद कब होगा? पाँचवे आरा के अन्तिम दिन के दो-प्रहर के बाद
4 प्रथम गणधर का नाम इन्द्रभूति
5 प्रथम साध्वी का नाम चन्दनबाला
6 प्रथम श्रावक का नाम शंख
7 प्रथम श्रविका का नाम सुलसा
8 भक्त राजाओं में प्रधान भक्त राजा कौन? मग्धेश्वर 'श्रेणिक'
9 शासन यक्ष का नाम मातंग
10 शासन यक्षिणी का नाम सिद्धायिका

 

 

परिवार वर्णन

 

क्र. सं. विवरण उत्तर
1 गणसंख्या नौ
2 गणधरो की संख्या ग्यारह
3 साधुओ की संख्या चौदह हजार (स्वहस्थ दीक्षित)
4 साध्वीओ की संख्या छत्तीस हजार (स्वहस्थ दीक्षित)
5 श्रावकों की संख्या एक लाख उनसठ हजार (सभी बारह, धर्मव्रतधारी, व्रत बिना के अन्य भक्तलोग लाखों थे) (दिगम्बर मते १ लाख)
6 श्राविकाओं की संख्या तीन लाख अठारह हजार (सभी बारह व्रतधारी) व्रत बिना के श्रावक श्रविकाओं की संख्या अनेक लाखों में थी (दि. मते ३ ला.)
7 केवलज्ञानी मुनियों की संख्या सात सौ
8 मन:पर्यवज्ञानी मुनियों की संख्या पाँचसो
9 अवधिज्ञानवाले मुनियों की संख्या तेरह सौ
10 चौदह पूर्वधर पूर्वमुनियों की संख्या तीन सौ
11 वैकृय लब्धिधारी मुनियों की संख्या सातसौ
12 वादी (वाद-विवाद में श्रेष्ठ) मुनियों की संख्या चार सौ
13 सामान्य मुनियों की संख्या दस हजार नवासी
14 प्रकीर्णक मुनियों की संख्या चौदह हजार
15 प्रत्येक बुद्ध मुनियों की संख्या चौदह हजार
16 अनुत्तर विमान में जानेवा मुनियों की संख्या आठ सौ

 

 

५. निर्वाण- मोल कल्याणक और उससे सम्बन्धित जानकारी

 

क्र. सं. विवरण उत्तर
1 मोक्ष गमन-मास और तिथि कार्तिक कृष्णा अमावस्या (ई.पू. ५२१) (गुज. आश्विन कृष्ण अमावस)
2 मोक्ष समय का नक्षत्र स्वाति
3 मोक्ष समय की राशि तुला
4 निर्वाण-मोक्ष समय की आयु ७२ वर्ष (मतांतरे साधिक ७२)
5 मोक्ष के समय सवंत्सर कौन सा था? चन्द्रनाम का द्वितीय संवत्सर
6 मोक्ष प्राप्त हुए उस मास का नाम प्रीतिवर्धन (शास्त्रीय नाम)
7 मोक्ष प्राप्त हुए, उस पक्ष का नाम नन्दवर्धन (शास्त्रीय नाम)
8 मोक्ष को प्राप्त हुए उस दिनका नाम अग्निवेश्य अथवा उपशम
9 मोक्ष को प्राप्त हुए, उस रात्रि का नाम देवानन्दा अथवा निरति (शास्त्रीय नाम)
10 मोक्ष समय का लव कौनसा? अर्थ (यह शास्त्रीय नाम है)
11 मोक्ष समय का प्राण कौनसा? मुहूर्त (शास्त्रीय नाम)
12 मोक्ष समय का स्तोक कौनसा? सिद्ध (शास्त्रीय नाम)
13 मोक्ष समय का करण कौनसा? नाग (तृतीयकरण) (शास्त्रीय नाम)
14 मोक्ष समय का मुहर्त कौनसा? सर्वार्थसिद्धि (पिछली रात का)
15 मोक्ष समय का नगर कौनसा? पावामध्यमा अपाधापुरी (प्राचीनकाल में मगधवर्ती थी और वर्तमान में बिहारवर्ती)
16 मोक्ष समय का स्थल कौनसा? हस्तिपाल राजा के लेखको की शाला
17 मोक्ष के समय उपदेश कितने घण्टे तक दिया? अखण्ड ४८ घण्टे तक
18 किस आसन से मोक्ष को प्राप्त हुए? पर्यकासन से अथवा पद्मासन से
19 मोक्ष प्राप्ति के पश्चात् अशरीरी उनके आत्मा की अवगाहना कितनी ? - ४-२/३ हाथ की
20 मोक्ष समय का तप छट्ठ (दो उपवास) तप
21 मोक्ष के समय मोक्ष प्राप्त करनेवाले अन्य थे? कोई भी नहीं
22 मोक्ष प्राप्ति का समय कौनसा? पिछली रात का
23 कौन से आरा-काल में मोक्ष गये? चतुर्थ आरा के अन्त में
24 मोक्षगमन के समय चतुर्थ आरा कितना बाकी था? तीन वर्ष साढ़े आठ महीने
25 कितनी परम्परातक मोक्षमार्ग चलता रहा? तीन पाटतक (अर्थात् तीन शिष्य-प्रशिष्य तक)
26 उनके शास्त्र में मोक्ष जाने का प्रारम्भ कब हुआ? केवलज्ञान होने के बाद चार वर्ष व्यतीत हुए तब

 

 

प्रकीर्णक जानने योग्य बहुत सी बातें

 

क्रमांक प्रश्न उत्तर
उपदेश किस पर बैठकर देते? देवों द्वारा निर्मित समोसरण में अथवा सुवर्ण कमल के ऊपर
क्या प्रतिदिन प्रवचन देते? हाँ
प्रतिदिन कितना समय देते? प्रातः, दोपहर दोनों समय, प्रत्येक समय में एक प्रहर देते | प्रहर से तीन घण्टा (कुल दो प्रहर अर्थात छह घंटे)
कौनसी भाषा में देते? अर्धमागधी प्राकृत (सर्वभाषाओं की जननी) में
उनके शास्त्र गणधरो ने किस भाषा में रचे? मुख्य रूप से अर्धमागधी प्राकृत में
आद्य तप की पूर्णाहूति में, अन्नदान दाता की क्या गति होती? प्रथम अथवा तृतीय भव में मोक्षप्राप्त करने वाला हो
भिक्षा समय में पंच दिव्य कौन से होते हैं? (१) वस्त्र, (२) सुगन्धित जल दृष्टि (३) वसुधारावृष्टि (१२॥) लाख (करोड़) स्वर्णमुद्रा की वृष्टि | (४) 'अहोदानं' की घोषणा, (५) दुन्दुभि नाद
उनके शासन में कितने लोगों ने तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जित किया? पुरुष और स्त्रियाँ मिलकर नौ व्यक्तियों ने
उनके तीर्थ में रुद्र कौन हुए? सत्यकी
१० उनके तीर्थ में कौन से दर्शन की उत्पत्ति हुई? वैशेषिक दर्शन की
११ भगवान की आश्चर्यजनक घटनाएँ कितनी हुईं? पाँच (गर्भापहरण, प्रथम उपदेश निष्फल, इत्यादि)
१२ साधुओं के महावत कितने? पाँच
१३ श्रावकों के अणुव्रत कितने? बारह
१४ चारित्र के प्रकार कितने? पाँच
१५ मूलतत्त्वों की संख्या कितनी? नौ अथवा तीन
१६ सामायिक व्रत के कितने प्रकार? चार
१७ प्रतिक्रमण कितने प्रकार का? पाँच
१८ छह आवश्यक प्रतिक्रमण कितनी बार करने के? प्रातः, सायं (नियमित दो बार)
१९ संयम चारित्र के कितने प्रकार? सत्रह
२० आचार पालन सुलभ अथवा दुर्लभ? अत्यन्त दुर्लभ
२१ मुनि कैसे वस्त्र प्रयोग करते? श्वेत, रंगबिना के और सामान्य कोटि के
२२ उस समय की प्रजा का प्रधान रूपसे स्वभाव कैसा था? वक्र-जड़ अर्थात् सरलता कम और बुद्धि की प्रगल्भता कम
२३ भारत में भगवान का विहार कहाँ-कहाँ हुआ? अधिकांश पूर्वोत्तर भारत में
२४ कितने राजा भक्त थे? अनेक

Sign up for our Newsletter

Mahavir Vachan's latest news, right in your inbox.

We care about the protection of your data. Read our Privacy Policy.