Ep-11: भगवान श्री महावीर के भक्त राजागण
भूमिका- भगवान महावीर के कौन-कौन से राजा अनुयायी, उपासक अथवा भक्तजन थे और कौन दीक्षित हुये थे, उसकी प्राप्त सूची यहा दी गयी है | उसके अतिरिक्त दीक्षित हुये संख्याबद्ध राजकुमार, राजकुमारिया तथा रजरनियों की सूची यहा नहीं दी गयी है |
| क्रमांक | राजा का नाम | देश-नगरी | विशेषता |
|---|---|---|---|
| १ | अदीन शत्रु | हस्तिशीर्ष | |
| २ | अप्रतिहत | सौगन्धिका | |
| ३ | अर्जुन | सुघोष | |
| ४ | अलक्ख | वाराणसी-काशी | दीक्षा ली |
| ५ | उदयन | कौशाम्बी | |
| ६ | उद्रायन (उदयन) | सिन्धु-सौवीर | दीक्षा ली |
| ७ | कनकध्वज | तैतलीपुर | |
| ८ | करकंडू | कंचनपुर | प्रत्येक बुद्ध |
| ९ | कूणिक | मगध | श्रमणोंपासक (जैन श्रावक) |
| १० | गागली | पृष्टचम्पा | दीक्षा ली |
| ११ | चंड्प्राध्योत | उज्जयिनी | श्रमणोंपासक |
| १२ | चेटक | वैशाली | श्रमणोंपासक |
| १३ | जितशत्रु | नव नगर | |
| १४ | दत्त | चम्पानगरी | |
| १५ | दधिवाहन | चम्पा | दीक्षा |
| १६ | दशार्णभद्र | दशार्णपुर | दीक्षा |
| १७ | द्विमुख | काम्पिल्य | प्रत्येक बुद्ध |
| १८ | धनावह | ऋषभपुर | |
| १९ | नमि-राजर्षि | मिथिला | प्रत्येक बुद्ध |
| २० | नग्गति | - | प्रत्येक बुद्ध |
| २१ | नंदीवर्धन | क्षत्रियकुंड | |
| २२ | पुण्यपाल | ||
| २३ | प्रदेशी | सेतव्या ( सेतम्बिका ) | श्रमणोंपासक |
| २४ | प्रसन्नचन्द्र | पोतनपुर | दीक्षा |
| २५ | प्रियचन्द्र | कनकपुर | |
| २६ | बल | महापुर | |
| २७ | महाचंद्र | सारंजणी | |
| २८ | महाबल | पुरमिताल | |
| २९ | मित्र | वणिज्यागाम | |
| ३० | मित्रनंदी | साकेतपुर | |
| ३१ | वासवदत्त | विजयपुर | |
| ३२ | विजय | पोलासपुर | |
| ३३ | विजय | मृग (गा) ग्राम | |
| ३४ | विजयमित्र | वर्धमानपुर | |
| ३५ | वीरकृष्ण मित्र | वीरपुर | दीक्षा |
| ३६ | विरयश | दीक्षा(?) | |
| ३७ | वैश्रमणदत्त | रोहितक | |
| ३८ | शतानिक | कौशाम्बी | |
| ३९ | शंख | मथुरा | |
| ४० | शिव राजर्षि | हस्तिनापुर | |
| ४१ | शौरिकदत्त | शौरिकपुर | |
| ४२ | श्रीदाम | मथुरा | |
| ४३ | श्रेणिक | मगध | |
| ४४ | साल | पृष्टचंपा | दीक्षा |
| ४५ | महासाल | पृष्टचम्पा | दीक्षा |
| ४६ | सिद्धार्थ | पाटलिखंड | |
| ४७ | सेय | आमलकल्पा | दीक्षा |
| ४८ | संजय | कम्पिलपुर | दीक्षा |
| ४९ | हस्तिपाल | अपापपुरी | दीक्षा |
• तदुपरांत वैशाली राज्य के सलाहकार रूप से नियुक्त हुये काशी-कोशल प्रदेश के नव मल्लकी
और नव लिच्छ्वी मिलकर १८ गण राजा तथा उसके अतिरिक्त विरंगय ऐणेयक इत्यादि |
• २, ३, ११, १४, १९, २६, २७, ३२, ३६, इन संख्यांकित राजकुमारों को भगवान ने दीक्षा दी थी |