Ep-5: श्री खींवसर तीर्थ
[ पुरातन क्षेत्र ]
तीर्थाधिराज: श्री महावीर भगवान, प्राचीन चरण, चन्दन वर्ण, लगभग 37 से. मी. (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल: खींवसर गाँव के बाहर तालाब के किनारे
प्राचीनता: इसका प्राचीन नाम अस्थिग्राम था। यह अति प्राचीन क्षेत्र माना जाता है। अस्थिगाँव के नाम का उल्लेख 'कल्प सूत्र' में भी आता है। किसी समय यह एक विराट नगरी रही होगी । कहा जाता है भगवान महावीर मरुभूमि में विचरे तब यहाँ उनका चातुर्मास हुआ था । चरण पादुका पर कोई लेख उत्कीर्ण नहीं है । ये चरण लगभग दो हजार वर्ष प्राचीन बताये जाते हैं ।
विशिष्टता # चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान का यहाँ चातुर्मास हुआ माना जाने के कारण यहाँ की महान विशेषता है। शोधकर्ताओं के लिए यह एक बड़ा भारी आवश्यक शोध का विषय है ।
जिस भूमि में देवाधिदेव प्रभु ने अपना चातुर्मास पूर्ण किया हो, उस भूमि की महानता का शब्दों में वर्णन करना संभव नहीं। निरन्तर चार माह प्रभु के मुखारबिंद से कितने पुण्यवान नर-नारियों, पशु-पक्षियों आदि ने अमृतमयी वाणी सुनकर अपना जीवन सफल किया होगा। प्रभु के चरणों से जहाँ का कण-कण स्पर्श हुआ हो उस स्थान की महानता का क्या वर्णन किया जाय। ऐसे पवित्र व पावन तीर्थ स्थल की यात्रा करने से आत्मा को विशिष्ट शान्ति का अनुभव होता है।
अन्य मन्दिर: वर्तमान में इसके अतिरिक्त यहाँ कोई मन्दिर नहीं है ।
कला और सौन्दर्य: मन्दिर गाँव के बाहर एकान्त में होने के कारण वातावरण शान्त व दृश्य अति सुन्दर लगता है ।

मार्ग दर्शन: यह तीर्थ सड़क मार्ग द्वारा जोधपुर से लगभग 95 कि. मी. व ओसियाँ से 60 कि. मी. दूर है । यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन नागौर 44 कि. मी. दूर है, जहाँ से बस व टेक्सी की सुविधा है।
यहाँ का बस स्टेण्ड मन्दिर से करीब 3/4 कि.मी. दूर है। मन्दिर तक कार व बस जा सकती है।
सुविधाएँ: फिलहाल ठहरने के लिए कोई साधन नहीं है। गाँव में उपाश्रय है, नागौर ठहरकर ही आना सुविधाजनक है ।

पेढ़ी: श्री महावीर भगवान जैन मंदिर, श्री ज़ेन श्वेतांबर मंदिर मार्गी ट्रस्ट, (नागौर) I पोस्ट : खींवसर 341 025. जिला: नागौर, प्रांत: राजस्थान, फ़ोन: प्रधान कार्यालय नागौर, 01582-40318.पी.पी.