Ep-33: श्री महुवा तीर्थ
[ पुरातन क्षेत्र , भोजनशाला की सुविधा, पंचतीर्थी ]
तीर्थाधिराज: श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्य, श्वेत वर्ण, लगभग 91 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) ।
तीर्थस्थल: महुवा गाँव के मध्यस्य ।
प्राचीनता: महुवा का प्राचीन नाम मधुमती था, ऐसा प्राचीन ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है। सेठ जावड़शाह, जिन्होंने विक्रम सं. 108 में श्री शत्रुंजय तीर्थ का तेरहवाँ उद्धार करवाया, उनकी जन्मभूमि यही है । प्रभु वीर की प्रतिमा को जीवित स्वामी कहते हैं, जिसका उल्लेख चौदहवीं शताब्दी में उपाध्यायजी श्री विनयविजयजी नें 'तीर्थ माला' में किया है । तीर्थोद्धारक आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी की भी जन्म व स्वर्गभूमि यही है । यह स्थान शत्रुंजय गिरिराज की पंचतीर्थी में आता है । इन सब से यह सिद्ध होता है कि यह अति ही प्राचीन तीर्थ स्थल है । इसका अन्तिम जीर्णोद्धार होकर पुनः प्रतिष्ठा विक्रम सं. 1885 माघ शुक्ला 13 को संपन्न हुई थी।
विशिष्टता: शत्रुंजय पंचतीर्थी का यह भी एक तीर्थ माना जाता है । यहाँ के तीर्थाधिराज प्रभु वीर की प्रतिमा को जीवित स्वामी कहते हैं, जो अन्यत्र बहुत ही कम जगह है । शासन प्रभावक सेठ जावड़शाह एवं तीर्थोद्धारक आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी, आचार्य श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी जेसे शासन सम्राटों ने यहाँ जन्म लेकर यहाँ का गौरव और भी बढ़ाया है ।
अन्य मन्दिर: इस मन्दिर के अलावा 2 और मन्दिर है।

कला और सौन्दर्य: समुद्र के किनारे बसे इस गाँव का प्राकृतिक दृश्य अति ही मनलुभावना है । जहाँ देखो, नारियलों के पेड़ व हरियाली मलयागिरि की याद दिलाते हैं । इस मन्दिर में स्थित श्री पार्श्वनाथ भगवान की धातु प्रतिमा की कला दर्शनीय है, जिसपर सं. 1313 के लेख उत्कीर्ण हैं ।
मार्गदर्शन: यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन महुवा लगभग 1.5 कि. मी. दूर है, जहाँ से आटो की सुविधा है । बस स्टेण्ड मन्दिर से करीब 100 मीटर दूर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । बस व कार आखिर तक जा सकती है । यह स्थान शत्रुंजय तीर्थ से 75 कि. मी. दूर है ।

सुविधाएँ: मन्दिर के निकट ही धर्मशाला व अतिथीगृह है, जहाँ पानी, बिजली, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र व भोजनशाला की सुविधा उपलब्ध है ।
पेढ़ी: श्री महुवा वीसा श्रीमाली तपागच्छीय श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, केबीन चौक,
पोस्ट: महुवा (बन्दर) - 364 290. जिला : भावनगर, प्रान्त : गुजरात, फोन : 02844-22571 (पेढ़ी) 02844-22259 (भोजनशाला)