भारत में भगवान महावीर के प्राचीन मंदिर

Ep-31: श्री जखौ तीर्थ

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[ भोजनशाला की सुविधा, पंचतीर्थी ]


तीर्थाधिराज: श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 84 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) ।

तीर्थस्थल: जखौ गाँव के मध्य।

प्राचीनता: यह स्थल कच्छ भुज के अबड़ासा की पंचतीर्थी का एक तीर्थ स्थान माना जाता है । इस मन्दिर की प्रतिष्ठापना विक्रम सं. 1905 में हुई थी। पुनः प्रतिष्ठा विक्रम सं. 2028 में हुई थी ।

विशिष्टता: यह तीर्थ अबड़ासा पंचतीर्थी में रहने के कारण इसकी विशेषता है। इसे रत्नटूंक जैन देरासर कहते हैं । इसका निर्माण शेठ जीवराज रतनशी और शेठ भीमसी रतनसी ने करवाया था । प्रतिवर्ष जेठ शुक्ला 11 को वार्षिकोत्सव मनाया जाता है ।

अन्य मन्दिर: इसी परकोटे के अन्दर आठ और मन्दिर है ।

कला और सौन्दर्य: एक ही परकोटे में निकटतम नव मन्दिरों की टूंके रहने के कारण शिखरों का दृश्य अति ही शोभायमान प्रतीत होता है ।

मार्गदर्शन: यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन भुज लगभग 108 कि. मी. हैं जहाँ से बस व टेक्सी की सुविधा है । नलिया तीर्थ से यह स्थल 15 कि. मी. व तेरा से 28 कि. मी. दूर है। गाँव के बस स्टेण्ड से मन्दिर सिर्फ 400 मीटर है । बस व कार मन्दिर तक जा सकती है ।


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सुविधाएँ: ठहरने के लिए धर्मशाला है, जहाँ - पानी, बिजली, बर्तन, ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र व भोजनशाला की सुविधा उपलब्ध है ।

पेढ़ी: श्री जखौ रत्नटुंक जैन देरासर पेढ़ी, पोस्ट : जखौ - 370 640. तालुका : अबड़ासा, जिला : कच्छ, (गुज.) फोन : 02831-87224

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